मौत और ज़िंदगी
जो भी करना है जो भी होना है,,,
चाहे हँसना है चाहे रोना है,,,
आज अभी इसी वक़्त क्यूँ नहीं, कल क्यूँ
आज समझना चाहता हूँ मैं, कि अपनी
हर ख्वाहिशों हर ख्वाबों को कल के लिए छोड़कर आख़िर इनका कतल क्यूँ
ऐ ख़ुदा, तू बताकर क्यूँ नहीं भेजता अपने ही
बनाए इन खच्चरों को, कि
तेरे जैसी नहीं होगी इनकी ज़िंदगी, जो राम को तेरा ही कोई फ़रिश्ता आकर कहेगा, कि
"आप चाहें तो और रह सकते हैं इस जहां में,,,
जब तक...
चाहे हँसना है चाहे रोना है,,,
आज अभी इसी वक़्त क्यूँ नहीं, कल क्यूँ
आज समझना चाहता हूँ मैं, कि अपनी
हर ख्वाहिशों हर ख्वाबों को कल के लिए छोड़कर आख़िर इनका कतल क्यूँ
ऐ ख़ुदा, तू बताकर क्यूँ नहीं भेजता अपने ही
बनाए इन खच्चरों को, कि
तेरे जैसी नहीं होगी इनकी ज़िंदगी, जो राम को तेरा ही कोई फ़रिश्ता आकर कहेगा, कि
"आप चाहें तो और रह सकते हैं इस जहां में,,,
जब तक...