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मौत और ज़िंदगी
जो भी करना है जो भी होना है,,,
चाहे हँसना है चाहे रोना है,,,
आज अभी इसी वक़्त क्यूँ नहीं, कल क्यूँ
आज समझना चाहता हूँ मैं, कि अपनी
हर ख्वाहिशों हर ख्वाबों को कल के लिए छोड़कर आख़िर इनका कतल क्यूँ
ऐ ख़ुदा, तू बताकर क्यूँ नहीं भेजता अपने ही
बनाए इन खच्चरों को, कि
तेरे जैसी नहीं होगी इनकी ज़िंदगी, जो राम को तेरा ही कोई फ़रिश्ता आकर कहेगा, कि
"आप चाहें तो और रह सकते हैं इस जहां में,,,
जब तक मर्ज़ी ना हो आपकी, आपको नहीं ले जाऊँगा वहाँ मैं"
ऐ ख़ुदा तू कहता है, ये सारी कायनात
तेरी ही ख़ुदाई है
हम सब तेरे ही बच्चे हैं, तो
यूँ ख़ामोश क्यूँ बैठा है तू, आज ज़वाब दे तू
मेरे हर सवालों का
या तो तू बनाता ही नहीं अपनी इन बेवकूफों को, ग़र बनाया तो
दिया इनको नासमझ-सा अकल क्यूँ
आज सौगंध है तुझे पूरे ब्रह्माण्ड की, अपने इन दलदल में फंसे खच्चरों को
समझाकर भेजना इस जहां में कि
जो भी करना है जो भी होना है,,,
चाहे हँसना है चाहे रोना है,,,
आज अभी इसी वक़्त क्यूँ नहीं, कल क्यूँ
आज समझना चाहता हूँ मैं, कि अपनी
हर ख्वाहिशों हर ख्वाबों को कल के लिए छोड़कर आख़िर इनका कतल क्यूँ
#मौत#

© Kumar janmjai