...

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****""जो कह ना सके"""****
कुछ हसीन गुस्ताखियां तो करते ही थे,
पर उनसे मिले ,तो  बस  थम से गये ।।

बिना सोचे
उनसे  दोस्ती में बड़ते  गये।
एक हवा का झोंका था , वह समा
जिसमें हम भी बहते गए।।

दोस्ती  कब  उनकी चाहत बन गयी
उन्हें भी पता  ना चला।
कितना  चाहने लगे  थे वह  हमें,
उनके मासूम से इकरार
को  हम कभी समझ ना सकें।।

हँसते हुए ,
उनकी चाहत को नकारते ही रहे।

ना अपनी ही कह सके ,
ना उनकी ही सुन ली।
जुड़ते हुए एहसासों की
कहानी ही रुक गयी।

बिछुड़ने के बाद ,उनकी कद्र जान पाए हैं।
एक सच्चे एहसास को अब समझ पाए हैं।

शायद यही प्यार है, जो वक़्त के साथ बेहतर समझ आता है।
इंसान रहे या ना रहे साथ में ,एक खूबसूरत यादों का गुबार हमेशा दे जाता है।

🌹🌹🌹🌹(Respect the true emotions and the true personwho loves you and cares you))


© Rishav Bhatt