****""जो कह ना सके"""****
कुछ हसीन गुस्ताखियां तो करते ही थे,
पर उनसे मिले ,तो बस थम से गये ।।
बिना सोचे
उनसे दोस्ती में बड़ते गये।
एक हवा का झोंका था , वह समा
जिसमें हम भी बहते गए।।
दोस्ती कब उनकी चाहत बन गयी
उन्हें भी पता ना चला।
कितना चाहने लगे थे वह हमें,
उनके मासूम से...
पर उनसे मिले ,तो बस थम से गये ।।
बिना सोचे
उनसे दोस्ती में बड़ते गये।
एक हवा का झोंका था , वह समा
जिसमें हम भी बहते गए।।
दोस्ती कब उनकी चाहत बन गयी
उन्हें भी पता ना चला।
कितना चाहने लगे थे वह हमें,
उनके मासूम से...