...

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ज्योत्सना...
पूर्णिमा की शरद रात्रि,
चंद्र आभा से नहाई,
'ज्योत्सना' का प्रकट होना।
महका धरा का हर कोना।
हवा वश पत्ते टकराकर,
बजा रहे थे तालियाँ।
उल्लू भी...