पापा
अब तक मैने बस गलतियां की
न जानती थी क्या गलत क्या सही
कई बार यहां तक गलती से
मैंने आपको शर्मिंदगी दी
डाटा जब आपने मुझको तो
मैंने तब भी अवहेलना की
मुझे पता है पापा आपने
मुझको ले सपने सजाए थे
मेरे भविष्य खातिर अपने
कितने सपने दफनाए थे
बोला समाज ने होगा बहुत
पर मुझपे ही है भरोसा किया
इस पुरुष प्रधान समाज में भी
मुझे हर अवसर था अनोखा दिया
और इतने प्रयत्नों बाद भी
जब खरी नहीं हूं उतरी मैं
जब मन...
न जानती थी क्या गलत क्या सही
कई बार यहां तक गलती से
मैंने आपको शर्मिंदगी दी
डाटा जब आपने मुझको तो
मैंने तब भी अवहेलना की
मुझे पता है पापा आपने
मुझको ले सपने सजाए थे
मेरे भविष्य खातिर अपने
कितने सपने दफनाए थे
बोला समाज ने होगा बहुत
पर मुझपे ही है भरोसा किया
इस पुरुष प्रधान समाज में भी
मुझे हर अवसर था अनोखा दिया
और इतने प्रयत्नों बाद भी
जब खरी नहीं हूं उतरी मैं
जब मन...