...

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कफ़स के कैदी
स्वतंत्रता के मायने,
कफ़स के कैदी करें बयां।
लगें देखिए बतलाने,
हसरतों को मारता है समां।

अधूरी सी ख़्वाहिशें,
थी ज़हान की मेहरबानी।
जो करता साज़िशें,
मतलबपरस्ती संग शैतानी।

उदास भयावह चेहरे,
लबों पे जड़वत बस ताले।
रूढियों के बंधे सेहरे,
थे केवल आडम्बरों के झूले।

रोये,चीखे,चिल्लाते,
झूठी मुस्कान के ही लबादे।
फिर देखिए पहनते,
सहनशीलता के करके वायदे।

© Navneet Gill