...

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Tumhari Chahat me ( तुम्हारी चाहत में )
मारे मारे हम फिरते हैं, तुम्हारी चाहत में
बिछाए बैठे हैं नजरें, उम्मीद-ए-राहत में

कभी इन्कार, कभी हामी, कभी खामोशी
मेरी तो जां पर बनी है, तुम्हारी मदहोशी
कहीं निकल ही ना जाए जां, घबराहट में
मारे मारे हम फिरते हैं, तुम्हारी चाहत में

तू है मेरी, तो जिंदगी है, हसीन अफ़साना
मेरी हयात में, तुम से ही बहार है जांना
तुम्हारे तीर ए नीमकश से हम हताहत हैं
मारे मारे हम फिरते हैं, तुम्हारी चाहत में

सुकूँ है रूह को मेरी उल्फत के ख्वाब बुन कर यूं
हर कली झूम उठी है ज़िक्र ए बहार सुनकर यूं
गुलो गुलशन में है रौनक तुम्हारी आहट में
मारे मारे हम फिरते हैं, तुम्हारी चाहत में



© GULSHANPALCHAMBA