...

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Tumhari Chahat me ( तुम्हारी चाहत में )
मारे मारे हम फिरते हैं, तुम्हारी चाहत में
बिछाए बैठे हैं नजरें, उम्मीद-ए-राहत में

कभी इन्कार, कभी हामी, कभी खामोशी
मेरी तो जां पर बनी है, तुम्हारी मदहोशी
कहीं निकल ही ना जाए जां, घबराहट में
मारे मारे हम फिरते हैं, तुम्हारी चाहत...