अहसास ए जुदाई
फिर वही राह ए वीरान तुम और मैं
किस क़दर हैं परेशान तुम और मैं
सर पे रख कर ज़माने की रुसवाईयाँ
चल दिए ले के सामान तुम और मैं
हाँ यही तो मुह़ब्बत का अंजाम...
किस क़दर हैं परेशान तुम और मैं
सर पे रख कर ज़माने की रुसवाईयाँ
चल दिए ले के सामान तुम और मैं
हाँ यही तो मुह़ब्बत का अंजाम...