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जन्म दिवस
तुमको वर्णित कर सके,मेरे पास ऐसे शब्द कहाँ
तुम उसे धरा को भी खुश कर दो,पड़ा हो जहाँ क्षुब्ध जहां
सुना है मैंने कि, तुमको मनाहीं है छत पर जाने को पता है, लगता सबको कि फरिश्ते निकले हैं तुमको लाने को
फिर किधर जहां में से ऐसा फरिश्ता वे ढूंढ के लाएंगे
कभी गवर्नर, कभी सांसद फिर किसको वे बनाएंगे
चिढ़ते रहना,कुछ कहते रहना यही स्वभाव तुम्हारा निराला है
सुना है मैंने कि युवा संसद के फोटोग्राफर ने चुन-चुन कर चित्र निकला है
और ऐसे ही नहीं सदा सब तारीफ तुम्हारी करते हैं ध्यान से कोई देखे तुमको,उसे लगेगा कि ये मधुबाला है
पल-पल में नाराज यूँ होना,ये गुण तुम्हारे अच्छे नहीं है
और थोड़ा समझदारी से काम लो, तुम्हारे साथ वाले बच्चे नहीं है
जीवन भर हमसे सम्पर्क रहे ये तो निश्चित नहीं है पर नेताजी से तुम्हारी दोस्ती टूटे कभी यह भी उचित नहीं है
विद्यालय स्तर की सबसे उच्चतम परीक्षा आ रही है
परेशान न होना यदि उसकी चिंता तुमको खा रही है
ज्ञात है मुझको कि तुम इसमें बहुत अच्छा करोगी
अपने सपनों के सारे खाली डिब्बे भरोगी
पता चला है कि, आज सिर्फ जन्म दिवस है तुम्हारा
सदैव खुश रहो,खुशियों से भरा रहे संसार सारा
अपने पर विश्वास करके तुम सदैव आगे बढ़ते जाना
क्या है रुतबा तुम्हारा इस जहां में,इसे तुमको है दिखाना
© प्रांजल यादव