ऐसा भी क्या मुझे पाना था?
चांद सिरहाने ढलता रहा
मैं यूं ही ख़ुद से सवालात करता रहा
ना मुझे वो कभी हासिल हुआ
तो...
मैं यूं ही ख़ुद से सवालात करता रहा
ना मुझे वो कभी हासिल हुआ
तो...