...

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कुछ ख़्वाब अधूरे से
कुछ ख़्वाब अधूरे से, हम बिल्कुल अकेले से
चल रहें हैं उस राह पर, हम ज़रा अनमने से

मंजिल मिल ना सकी हमें, राह है भटके से
दूर है किनारा समंदर के बीच में, हम फंसे से

ज़िन्दगी एक सवाल है, जवाब अनसुलझे से
सांस आती अब मुकम्मल कहां, नब्ज़ थमे से

कहानी पूरी भी नहीं हुई, किस्सा रूके रूके से
साथ मिलकर चलना था, कदम हैं कुछ ठहरे से

तुम्हें पा ना सके कभी, ख्वाहिश कुछ बुझे से
कुछ ख़्वाब अधूरे से, हम बिल्कुल अकेले से