...

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मैं, बारिश और उसकी यादें 😊
यार बारिश और तुम, दोनों ही बिल्कुल
एक ही जैसी हो
जब बरसती हो इस ज़मी पर बूँद बनकर, तो
जैसे बदन पर गिरते हर बूँद से एक अलग ही सुकून का एहसास होता है,,,,
मग़र, पता नहीं क्यूँ
अचानक ही मुझे सुकूं के एहसास दिलाने वाले
यही बारिश की बूँदें कब तबाही बनकर,
मुझको बर्बाद करने के लिए मेरे पीछे
मेरे किसी कातिल की तरह मुसल्सल भगा रही...