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जरा दर्शन 📿 जरा दरगाह 🕌🛐

पानी करे गान पनधर का, ज़ेहन पर जान जनवर का!!

गगन करे गान आ पूरबा, तेरा ही दरकार तू ही गुमराह।।

हंस विधान रहमत का, बदन वरदान कुदरत का।।

जहन्नुम जो मनचाहा, तेरा फ़रमान दफ़न कब्रगाह।।

बलि न व्यायाम भगवन का, हनन न मुनासिब मज़हब का।।

दरिंदगी से हो बर्खास्त, तेरा पैग़ाम बने दरमाह!!

चहुओर दंगा आग-उगला, अनैतिक राह तू बूझ उपला!!

मुकद्दर ग्रसे कुगल बचना, धरा रह जाए भूखनवा ना।।

मत अरमान झांसा रमना, इनके ना भाव भंवर फसना।।

पैठ जे पाए नसेनी नसना, कवायद दिखे ना जाहिरनामा।।

सलामत राजे तजुर्बेकार, बरकत ख़ाक दिलासा हरबार।।

यतीम आर्तनाद सुने न मोहताज़, भौतिक साख मुखातिब विकास।।

सुनाए सम्मुख नेपथ्य और का, क्या फिर हैरत न करे आपका?

आग निर्जल क्यों न विकराल, कहीं न सीलन कहीं दोआब!!

आख़िर आमीन धरण का, गोत्र पग धर्म न विचलन का।।

आत्म, रूह, रोम अफ़वाह, जरा दर्शन जरा दरगाह।।📿


© rakesh_singh🌅



*पनधर -पानी धारण करने वाला(नदी, बादल)
*दरकार -जरूरत, आवश्यकता
*हंस -आत्म
*विधान -नियम
*रहमत -रहम करना, दया
*फ़रमान -आदेश
*मुनासिब -उचित
* मुकद्दर -क़िस्मत, भाग्य
*कुगल -गलत बात
*नसेनी -सीढ़ी
*कवायद -पैरेड
* जाहिरनामा -घोषणापत्र
*यातीम -अनाथ
*आर्तनाद -चीत्कार, दुःख भरी चीख
* नेपथ्य -रंगमंच के पर्दे के पीछे का स्थान
*दोआब -दो नदी के बीच की उर्वर भूमि