...

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वो वक़्त कुछ औऱ था..!
"हाँ"... अब मुश्किल है तुम्हें पाना
मुड़ के लौट कर उस वक़्त में जाना,

मैंने तुम्हें तब पाया था
जब टेपरिकॉर्डर में रिवर्स बटन होता था,

"बस" नहीं थी
तुम्हारे घर तक पैदल रस्ते थे,

चार पहियों बाली गाड़ी नहीं
दोपहिया साइकिल थी,

तब इतना बेबाक़ीपन कहाँ था
मैं घबराता था तुम शर्माती थी,
हिचकियाँ थी सिसकियाँ थी
मोबाइल नहीं कागज़ पे लिखी चिठियाँ थी,

यह पलाज़ो नहीं.. सादी सलवार कमीज़...