...

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स्वप्न अधूरा रह गया
अर्र अर्र सर्र सर्र होली है
होली तो खेली खूब
तन तो रंगा खूब पर
मन का कागज कोरा था कोरा रह गया
भर भर रंग पिचकारी मारी
तन तो भीगा खूब
मन का दामन सूखा था सूखा रह गया
तुमने तो कहा था मैं आऊंगा
तुम संग फाग खूब मनाऊंगा
श्याम तुम्हारा वादा झूठा था झूठा रह गया
तुम बिन श्याम कैसी होली
पिचकारी लगे है जैसे गोली
तुम्हें रंगने का सपना अधूरा था अधूरा रह गया
यूं तो रंग अबीर गुलाल खूब थे
भांग की मस्ती में मस्ताने खूब थे
तुम बिन श्याम मेरा मन
प्यासा था प्यासा रह गया


© सरिता अग्रवाल