...

11 views

जीवन की लड़ियाँ
टूट जाती हैं जीवन की लड़ियाँ,
जब बिखर जायें आस की कड़ियाँ,
मन क्रन्दन करे,
तन रुदन करे,
नयन अश्रु नीर,
उर में बढ़े पीर,
जैसे मीन तड़पे गर्म रेत मिले नहीं जल,
तन हो जाये श्वेत होकर के विकल,
ग़म से मिले जब तन्हाई
झर झर झरते अश्क़ आये नहिं निदिया,
मनवा एकटक गगन निहारे तारे
रैन निकल जाये नित ही सूनी अखियां,
दिल टूट कर कांच की तरह बिखर जाये,
जीवन अंधकार के गर्त में समा जाये,
"प्रकाश" को प्रकाश की किरण नज़र न आये,
जैसे आकाश में उड़ते पंछी के पंख कुतर दिये जायें,
बिन पंख पंछी क्षिति पर गिरे जीवन को ललचाये,
टूट जाती हैं जीवन की लड़ियाँ,
जब बिखर जायें आस की कड़ियाँ,





© प्रकाश