...

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ऐ जिंदगी
ऐ जिंदगी....क्यों तू हर कदम पर.....
इन आँखों में नए ख्वाब सजाती है
मिले ही न जिस राह कोई मंजिल
क्यों भला तू उस राह पहुंचाती है...!!

कहने को तो है तू....हमारी अपनी ही....
फिर क्यों गैरों सा बर्ताव दिखाती है
शायद समझती है हमे तू कोई खिलौना
तभी संग हमारे कई खेल, खेल जाती है...!!

न जाने क्यों ऐ जिंदगी...तू हर...