जाना पहचाना सा वो चेहरा
जाना पहचाना सा वो चेहरा उल्फ़त का
अब ना जाने क्यों अजनबी हो गया है।
जिसके साथ मिलती थी खुशियाँ कभी
वो शख़्स अब ना जाने कहाँ ख़ो गया है।
मेल मुलाक़ातें, वादें , सपनें सब ख़त्म हुए
अब तो मानो जैसे अपना नसीब सो गया...
अब ना जाने क्यों अजनबी हो गया है।
जिसके साथ मिलती थी खुशियाँ कभी
वो शख़्स अब ना जाने कहाँ ख़ो गया है।
मेल मुलाक़ातें, वादें , सपनें सब ख़त्म हुए
अब तो मानो जैसे अपना नसीब सो गया...