तुझसे नहीं ऐ ज़िन्दगी
तुझसे नहीं ऐ ज़िन्दगी ;
खुद से ज़रा नाराज़ हूं !
कल किसी की आंख का नूर थी;
आज किसी के घर की लाज हूं !
दिल में रही मेरी आरज़ू ;
लुटती रही मेरी...
खुद से ज़रा नाराज़ हूं !
कल किसी की आंख का नूर थी;
आज किसी के घर की लाज हूं !
दिल में रही मेरी आरज़ू ;
लुटती रही मेरी...