नजरों का खेल...
बातें नहीं होती थी ज़्यादा ना मुलाकातें होती थी
बस कभी कभी वो अचानक टकरा जाते थे
जानते नहीं थे एक दूसरे को ज़्यादा
मगर ज़िक्र सुनकर होंठ मुस्कुरा ही जाते थे
पता नहीं क्या खेल खेल रहे थे ये दोनों
नजरें मिली नही की बस शरमा जाते थे...
© Rishali
बस कभी कभी वो अचानक टकरा जाते थे
जानते नहीं थे एक दूसरे को ज़्यादा
मगर ज़िक्र सुनकर होंठ मुस्कुरा ही जाते थे
पता नहीं क्या खेल खेल रहे थे ये दोनों
नजरें मिली नही की बस शरमा जाते थे...
© Rishali
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