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सुनसान पड़े घर
सुनसान पड़े घर
खामोश पड़ा आंगन
आज भी बुलाता है
अपनों को जो दूर
जा बसे हैं
अपने गांव से,
अपने मां बाप से
घर आंगन से,
धूल भरी गलियों से,
बचपन के यारों से,
अपने बीते हुये कल से,
अपनों के साथ गुजरे हुए
खट्टे मीठे पल से।
© Tinki
#writcoapp
#writcopoet
#hindipoem
#Hindi
#ghar
#aangan
खामोश पड़ा आंगन
आज भी बुलाता है
अपनों को जो दूर
जा बसे हैं
अपने गांव से,
अपने मां बाप से
घर आंगन से,
धूल भरी गलियों से,
बचपन के यारों से,
अपने बीते हुये कल से,
अपनों के साथ गुजरे हुए
खट्टे मीठे पल से।
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