गज़ल
इश्क़- ए -समंदर में लहरें यूँ उठ रही है
दिल- ए -कश्ती बेचैन है डूब जाने को।
हमने लाख कोशिशें की छुपाने की जमाने से
फिर भी खबर लग गयी कम्बख़्त जमाने को।
हर दीवारों के पीछे कुछ धुंआ सा उठ रहा है
जैसे...
दिल- ए -कश्ती बेचैन है डूब जाने को।
हमने लाख कोशिशें की छुपाने की जमाने से
फिर भी खबर लग गयी कम्बख़्त जमाने को।
हर दीवारों के पीछे कुछ धुंआ सा उठ रहा है
जैसे...