...

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में ऐसा क्यों हो
ना जाने क्यों तेरे करीब आते ही में खुद को अपने दायरों से घेर लेता हो।
कोशिश तो बहुत करता हो की चलो इस बार दहलीजे लांघ ही लेता हो पर ना जाने क्यों ?हर
बार की तरह खुद को तेरे पास जाते ही खुद को मांग लेता हों। ख़ैर बहुत हुआ ये खेल तमाशा मैं थक गया खुद को देते देते ये दिलासा की अब पलटेगा पासा।
चलो अब हम एक दूसरे के खातिर एक दूसरे से सौदा करते है एक दूसरे के खातिर एक दूसरे से जज्बातों का समझौता करते है।
हम फिलहाल इन जज्बातों के खातिर एक दूसरे के लिए अंधे हो जाते है
जो ये न हो सका तो
तुम हम से करो इतनी नफरत हम इस कदर गंदे हो जाते है। बोलो तुम्हे क्या ?मंजूर है।
खुद को तुमसे दूर ले जाना ना ही मेरा सुरूर है न ये मेरा गुरूर है । हां पर तुम्हारी हर सवालों का जवाब खामोशी से ही देना इसके पीछे छिपा भावार्थ जरूर है।
चल ना अब जीते है हम एक दूसरे के खातिर खुद के लिए
अगर हम फिर कभी मिले तो जलील ना होना पड़े हमे अपने वजूद के लिए ।
चल ना जीते है अब हम एक दूसरे के खातिर खुद के लिए।
मेरा ही ना सही तेरे वजूद के लिए ।
ए समय देख ले इस मोड़ पर हम एक दूसरे को एक दूसरे के पास छोड़ कर जा रहे है ।
ए समय मेरा तुमसे एक है गुजारिश की
अगर हमे हो कभी मिलना तो खूब मिलाना
या कही इन यादों के साथ दफ्न हो जाना
ना हम तुम्हे कुरेतेंगे ना तू हमे कुरेतना अगर कायनात मांगे गवाही तो इन किस्सों का गवाह बन जाना।
या हमेशा के लिए अपवाह बन जाना।





© aman 8111819@