...

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तस्वीर तुम्हारे
तसवीर तुम्हारी कुछ इस तरह से छुपाई रखी हूं
ज़माने की हर एक बुरी नज़र से बचाके रखी हूं...
दिल उदास होता है तो उसको बोलती हूं
खुशी के लम्हे कुछ मिल जाए तो उसे ही बताती हूं...
अपनी आखों की आंसु उसके आगे बहाती हूं
होठों की मुस्कान भी उसको ही दिखाती हूं...
उसको ही दिल से लगाई रखती हूं
तस्वीर तुम्हारे अपनी आखों में बसाई रखती हूं....
दर्द जब हदसे गुजर जाए तो सीने से लगा लेती हूं
हर वक्त देखे उसको तुमको ही महसूस करती हूं....
इसीलिए तो कभी कभी तुम्हें तस्वीर तुम्हारी मांगती हूं
तुम ये ना सोचना ऐसे में तुम्हे परेशान करती हूं.....