...

14 views

तुम्हारे बाद का मौसम 😀
ये धुआँ-धुआँ सा चेहरा, सर-ए-आब है तो क्यों है
मिरी चश्म-ए-नम में अब तक, कोई ख़्वाब है तो क्यों है

तिरी क़ुरबतों की रस्में, ग़म-ए-दिल बढ़ा रही हैं
तिरी लज़्ज़तों का मारा, ये जो बाब है तो क्यों है

कोई हिज्र काटती हैं, शब-ओ-रोज़ तेरी आँखें
सो फिर आज तेरा चेहरा, जो गुलाब है तो क्यों है

तू मुआ़फ़ करने वाला, तू करीम भी है मालिक
तिरे दर पे रोज़-ए-मह़शर, वो ह़िसाब है तो क्यों है

तिरे हुक्म से हुई थी, मेरे नफ़्स की भी ता़मीर
जो मैं इसकी मानता हूँ , ये अ़ज़ाब है तो क्यों है

मुझे ख़ुल्द से निकाला, मुझे गरदिशों में डाला
वो सवाल था तू क्यों था, ये जवाब है तो क्यों है