नियति....
कुछ यूँ हो चली है ज़िन्दगी मानो, कोई सुलगता सा सफ़र हो जैसे।
हर राह, हर मोड़ पर दूर तलक, चला आ रहा धुँआ सा नज़र हो जैसे।।
मालूम न था दिन कभी मुसलसल, यूँ ज़िन्दगी में दर्द लेकर आएंगे।
दिन अजनबी, रात भी...
हर राह, हर मोड़ पर दूर तलक, चला आ रहा धुँआ सा नज़र हो जैसे।।
मालूम न था दिन कभी मुसलसल, यूँ ज़िन्दगी में दर्द लेकर आएंगे।
दिन अजनबी, रात भी...