...

2 views

झील किनारे आ जाना
कुछ गीत पुराने याद आए कुछ गीत पुराने भूल गए
कुछ धुंधली सी यादों की तस्वीर पुरानी भूल गए

नहीं जागते अब रातों में वो चांद अधूरा भूल गए
वो मुझसे मिलने आए थे पर पूरा आना भूल गए

जो कभी राह तकते थे,वो मेरा चेहरा भूल गए
मुझे दिल में रखना भूल गए,वो सारे पहरे भूल गए

याद नहीं मैं उनमें हूं,कुछ इस तरह हमें भूल गए
ऐसी विरानियां आई फिर वो सहरा सहरा भूल गए

वो टूट कर तो आए थे फिर भी बिखरना भूल गए
कुछ आईने को संवार दी पर खुद संवरना भूल गए

फिर भी कहती रहती मैं तुम भूल से सब भुला जाना
वक्त मिले तो मुझसे मिलने झील किनारे आ जाना


जब आना मुझसे मिलने कुछ पुराने सपने ले आना
जो साथ बिताए लम्हे थे कुछ लम्हें उनमें से ले आना

बिखरे हुए लफ्जों की कोई अधूरी कहानी ले आना
आंखो में काजल के साथ कोई गजल पुरानी ले आना

मांगी थी  दुआ हमने कभी तारो की उन झुरमुट से
आसमान में तारो की बनी वो शहर पुरानी ले आना

ना कहना तुम घबराए हो ना कहना तुम शरमाए हो
जब भी आना पूरा आना ना आधी जवानी ले आना

अक्सर रातों को नींदों से तुम ख्वाब चुराकर जाते थे
वो ख्वाब आंखो में ले आना वो रात पुरानी ले आना

फिर भी कहूंगी मैं तुमसे वही नगमे फिर दुहरा जाना
वक्त मिले तो मुझसे मिलने झील किनारे आ जाना


वही तारो की चमक होगी वही चांद की पनाह होगी
वही सुनी सी वादिया होंगी वही तन्हा फिर  राह होगी

होगी फिर एक लंबी रातें, रातों में याद जवां होगी
कुछ तुम लबों से कह देना कुछ मेरे लबों से बयां होगी

स्याह बादल में लिपटे कुछ बूंदे फिर मेहरबान होगी
फिर तेरी बाहों में मेरी इक छोटी सी आशियां होगी

इत्र की महक सांसों में और हवाओं में शोखिया होगी
दो पल की मुलाकात में सदियों की गुजरी जहां होगी

बस एक बार कह देना इक झूठा ही वादा कर लेना
भले तू साथ नही होगा पर ये लम्हा यादगार होगी

फिर भी कहती मेरी जान,जी भर मुझे तड़पा जाना
वक्त मिले तो मुझसे मिलने झील किनारे आ जाना
© shubh_shayarivibes_