अफ़सानों में
मैं बैठा था अपनी हक़ीक़त को लेकर वो ढूंढते रहे अफ़सानों में,
उसने मुझको ही ना शामिल किया मुझ पे किए
एहसानों में,
दिल ने तो दी बहुत पर आवाज़ ना पहुंची उनके
कानों में,
भुला रखा हैं अभी पूरी तरह,याद आऊंगा मैं...
उसने मुझको ही ना शामिल किया मुझ पे किए
एहसानों में,
दिल ने तो दी बहुत पर आवाज़ ना पहुंची उनके
कानों में,
भुला रखा हैं अभी पूरी तरह,याद आऊंगा मैं...