...

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कुछ कर जाना है
दो दिन बेहतर जी कुछ कर दिखाना है
जिंदगी को मेरी मुझे सच बताना है
भाग दौड़ भीड़ से ज्यादा अंदर पूरा मुझमें जमाना है
अंदर के उस जमाने को बाहर खींच लाना है
आज नही तो कल कुछ कर जाना है
मेरे हर शब्द को पूर्णता पाना है
पहचान को खुद के दम पर बनाना है
हार और टूट फिर खड़े हो जाना है
मेरी जिद्द को मैंने संकल्प माना है
आज नही तो कल कुछ कर जाना है।