यादें
कुछ कागज के टुकड़े बिखरे पड़े थे,
सोचा की उन्हें फेक आऊ;
मगर बहुत भारी सा लगा!
उन सिमटी हुई टुकड़ो पर ख्यालात जो
तुम्हारे लिए थे।
स्याही भले ही कलम की हो
मगर जज्बात सच्चे लिखें थे।।
𝓟𝓻𝓪𝓴𝓻𝓲𝓽𝓲.
सोचा की उन्हें फेक आऊ;
मगर बहुत भारी सा लगा!
उन सिमटी हुई टुकड़ो पर ख्यालात जो
तुम्हारे लिए थे।
स्याही भले ही कलम की हो
मगर जज्बात सच्चे लिखें थे।।
𝓟𝓻𝓪𝓴𝓻𝓲𝓽𝓲.
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