...

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यादें
कुछ कागज के टुकड़े बिखरे पड़े थे,
सोचा की उन्हें फेक आऊ;

मगर बहुत भारी सा लगा!
उन सिमटी हुई टुकड़ो पर ख्यालात जो
तुम्हारे लिए थे।

स्याही भले ही कलम की हो
मगर जज्बात सच्चे लिखें थे।।

𝓟𝓻𝓪𝓴𝓻𝓲𝓽𝓲.