मेरे प्यारे लाटशाहब !!
कल से तुम्हारा मिजाज
बदला-बदला सा है
आवाजों में नरमी नहीं
रूखापन आ गया है
कहीं नौकरी तो नहीं मिली ,
लाटसाहब तो नहीं बन गए ,
अरे! कहीं शादी तो नहीं हो गई ,
आजकल हिदायतें भी देने लगे हो
घर में आते ही तुम्हारी आवाजें
ऊंची हो जाती हैं
और फरमाइशे सर पर चढ़ा लेते हो
और मां की हरकतें तुम्हें खटकने लगी है
अरे! बूढ़ी अब...
बदला-बदला सा है
आवाजों में नरमी नहीं
रूखापन आ गया है
कहीं नौकरी तो नहीं मिली ,
लाटसाहब तो नहीं बन गए ,
अरे! कहीं शादी तो नहीं हो गई ,
आजकल हिदायतें भी देने लगे हो
घर में आते ही तुम्हारी आवाजें
ऊंची हो जाती हैं
और फरमाइशे सर पर चढ़ा लेते हो
और मां की हरकतें तुम्हें खटकने लगी है
अरे! बूढ़ी अब...