...

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माँ ....😊
थाली में एक ही रोटी है
मुझे भूख नही तुम खा लो ना
ये कहने वाली माँ है ना
बीमार होते बच्चो के
रो रो कर दुआएं माँगने वाली
माँ हैं ना
अपने खर्च बचा करके माँ मुझे
देती है
मेरी नई कपड़े होते है माँ
त्योहारो मे भी पुरानी साड़ी हि पहनती है
मेरी दर्द भरी जिन्दगी मे
माँ मरहम सी बन जाती है
इसी लिए शायद दर्द होने पर
मेरे होंठ भी माँ को बुलाती है
मेरी ख़ुशी के लिए वो सबसे लड़ जाती है
जब मैं रोती हूँ तो वो भी आंशू बहाती है
वो कभी थकती भी नहीं है
हर काम को करना उसकी कदम अपने जिमेदारियो के आगे रूकती भी नहीं है
बच्चों के लिए हर दर्द सेह जाती है
माँ शायद इसीलिए ममता का रूप मानी जाती है
❤️❤️
shital mishra 😊❤️
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