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ऐ! सुनो कलयुग के दंपत्ति
ऐ! सुनो कलयुग के दंपत्ति,
दोनों मिल कर सामना करो, चाहे आ जाये कोई भी विपत्ति |
सीखो गौरीशंकर से तप और त्याग,
जिनमें था असीम अनुराग |
एक दूजे का साथ निभाओ ऐसे,
लक्ष्मीनारायण थे जैसे |
चाहे कितना भी हो विचलित मन,
फिर भी साधो गृहस्थी में संतुलन |
जिस तरह तुम थे साथ एक दूसरे के सुख में,
उसी तरह ना छोड़ो एक दूजे का हाथ दुख में |
ऐ! सुनो कलयुग के दंपत्ति,
दोनों मिल कर सामना करो, चाहे आ जाये कोई भी विपत्ति |
सिया-राम से सीखो आधा-आधा बाँटना,
अकेले ना वनवास काटना |
जिस तरह श्री राम थे मर्यादा में रहने वाले,
उसी तरह माँ सीता के भी थे इरादे पीछे ना हटने वाले |
चाहे कितनी ही सुन्दर थी रावण की लंका,
पर माँ सीता को ना थी श्री राम के प्रेम में कोई भी शंका |
ऐ! सुनो कलयुग के दंपत्ति,
दोनों मिल कर सामना करो, चाहे आ जाए कैसी भी विपत्ति |
प्रेम हो तुम्हारा श्री कृष्ण जैसा, जो रटते थे राधे-राधे,
क्योंकि वो थे राधा के भी बिना आधे आधे |
जैसे थे श्री कृष्ण सुख में राधा के साथ,
उसी तरह नहीं छोड़ा उन्होंने दुख में भी राधा का हाथ |
ऐ! सुनो कलयुग के दंपत्ति,
दोनों मिल कर सामना करो, चाहे आ जाये कोई भी विपत्ति |
पति-पत्नी का रिश्ता कभी ना टूटे,
कभी ना एक दूजे का साथ छूटे |
सतयुग हो, त्रेता युग हो या फिर हो द्वापर युग, सभी युग हमें यही सिखलाते,
देवी- देवता यही हैं बतलाते,
कि पति और पत्नी एक दूजे का साथ कैसे हैं निभाते |
ऐ! सुनो कलयुग के दंपत्ति,
दोनों मिल कर सामना करो, चाहे आ जाये कोई भी विपत्ति |
ऐ! सुनो कलयुग के दंपत्ति,
दोनों मिल कर सामना करो, चाहे आ जाये कैसी भी विपत्ति |
© Varsha Kanwar