...

5 views

मस्तानों की होली
मस्तानों की होली:-
लो निकल पड़ी हैं सबकी टोली । (डॉ. श्वेता सिंह )
क्या बच्चें, क्या बूढ़े हैं बने सब हमजोली ।
हैं भरी पड़ी रंगों से हमारी खोली ।
लो निकल पड़ी हैं सबकी टोली ।
लो निकल पड़ी हैं हम मस्तों कि टोली।
होली है भाई होली है,
बुरा ना मानो होली है ।
मौज - मस्ती से भरी ये होली है ।
फिर से सजेगी रंगों की महफिल ,
फिर से पड़ेगी शरीर पर गुब्बरों वाली गोली ।
होली हैं भाई होली ,
मौज - मस्ती से भरी हैं ये होली ।
सरहद पर जो शहीद हुऐ हैं ,
हैं खाई जिन्होंने अपने सीने पे दुश्मन की गोली। नमन हैं उन जवानों को ।
हम रहे महफूज़ अपने घरों और त्योहारों पे ,
उन्होंने सरहदों पे खाई हैं अपने सीने पे गोली ।
आओ अब उनको भी याद करले ,
जिन्होंने खेली है अपने खून से होली ।
लो निकल पड़ी है अपने जवानों कि टोली ।
क्या बच्चें, क्या बड़े, बने सब हमजोली ।
है रंगों से भरा ये त्योहार होली ।
है खुशियों से भरा ये त्योहार होली ।
लो निकल पड़ी हैं सबकी टोली ।
लो निकल पड़ी है, हम मस्तानों की टोली ।
होली हैं भाई होली है ।
बुरा ना मानो होली है।(डॉ. श्वेता सिंह)
© Dr.Shweta Singh