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सुना है शेर लिखते हो...
मेरे ख़त का, जबाब भी लिखना
हाले दिल ए बेताब भी लिखना..
मुझे तारीफें, बेहद अच्छी लगती हैं
कभी कभी मुझे, माहताब भी लिखना..
आँखों को झील, बालों को बादल
और मेरी होंठों को, शराब भी लिखना..
सुना है के, तुम अब शेर भी लिखते हो
कुछ लफ्ज़ मेरे ख़ातिर नायाब भी लिखना..
लिखना वो सब कुछ, हाँ परदे में लेकिन
पर जियादा नहीं, बस लाजबाब ही लिखना..
जब मिलोगे तो कैसे मिलोगे वो बताना
मुहब्बत भरे झूठे, ख्वाब ही लिखना..
© Rajnish Ranjan
हाले दिल ए बेताब भी लिखना..
मुझे तारीफें, बेहद अच्छी लगती हैं
कभी कभी मुझे, माहताब भी लिखना..
आँखों को झील, बालों को बादल
और मेरी होंठों को, शराब भी लिखना..
सुना है के, तुम अब शेर भी लिखते हो
कुछ लफ्ज़ मेरे ख़ातिर नायाब भी लिखना..
लिखना वो सब कुछ, हाँ परदे में लेकिन
पर जियादा नहीं, बस लाजबाब ही लिखना..
जब मिलोगे तो कैसे मिलोगे वो बताना
मुहब्बत भरे झूठे, ख्वाब ही लिखना..
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