मेरी आंखों का प्रस्ताव ठुकरा के तुम
मेरी आंखों का प्रस्ताव ठुकरा के तुम
मुझ से यू न मिलो अजनबी की तरह
मैं भी खुद को समंदर समझने लगूं
तुम जो मिल जाओ आ कर नदी की तरह
चांद चहेरे को सब शायरों ने कहा
मैं भी कैसे कहूं चांद में दाग़ है
दूध में थोड़ा सिंदूर मिल जाए तब
तेरा चहरा उसी तरह बे दाग़ है
धूप से रूप तेरा बचाऊंगा मैं
सर पे रख लो मुझे ओढ़नी की तरह
मेरी आंखों का प्रस्ताव ठुकरा के तुम
मुझ से यू न मिलो अजनबी की तरह
लड़खड़ाई हुई जिंदगी है मेरी
थाम लो मुझको मेरा सहारा बनो
तुम जो पारो बनो देव बंजाऊ मैं
वीर बंजाऊ मैं तुम जो जारा बनो
अगर इशारों से दे दो इजाज़त मुझे
गुनगुनालू तुम्हे शायरी की तरह
मेरी आंखों का प्रस्ताव ठुकरा के तुम
मुझ से यू न मिलो अजनबी की तरह
© Farhan Haseeb
मुझ से यू न मिलो अजनबी की तरह
मैं भी खुद को समंदर समझने लगूं
तुम जो मिल जाओ आ कर नदी की तरह
चांद चहेरे को सब शायरों ने कहा
मैं भी कैसे कहूं चांद में दाग़ है
दूध में थोड़ा सिंदूर मिल जाए तब
तेरा चहरा उसी तरह बे दाग़ है
धूप से रूप तेरा बचाऊंगा मैं
सर पे रख लो मुझे ओढ़नी की तरह
मेरी आंखों का प्रस्ताव ठुकरा के तुम
मुझ से यू न मिलो अजनबी की तरह
लड़खड़ाई हुई जिंदगी है मेरी
थाम लो मुझको मेरा सहारा बनो
तुम जो पारो बनो देव बंजाऊ मैं
वीर बंजाऊ मैं तुम जो जारा बनो
अगर इशारों से दे दो इजाज़त मुझे
गुनगुनालू तुम्हे शायरी की तरह
मेरी आंखों का प्रस्ताव ठुकरा के तुम
मुझ से यू न मिलो अजनबी की तरह
© Farhan Haseeb