...

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क्या इश्क इंतज़ार है....
#इंतज़ार

जी अगर इंतज़ार है तभी तो प्यार है ,
हाथों की चुड़ियों की खनखन
और पायल की छम छम में
साजन के आने की पुकार है,
इश्क ही इंतज़ार है ....
सजनी के आंखो में दीद‌ और चेहरे पर‌ टिप टिप आई बुंदों में,
विरह की वेदना को समझो,
तो‌ यही‌ प्रेम का सार है,
इश्क ही इंतज़ार है ....
अकेली रातों में,
खाली बांहो को और थके हुए तन को,
साजन के कंधे की पुकार है,
इश्क ही इंतज़ार है ....
मन में चलती ठेर‌ सी बातों में भी,
लबों की ‌खामोशी को‌ मई की ३० तारीख का इंतजार है ,
इश्क ही इंतज़ार है ....
पती से‌ मिलन ‌की‌ चाह लिए बैंठी पत्नी को उसके ‌‌आने‌ का बेसब्री से इंतजार है ,
इश्क ही इंतज़ार है ....




© Himani