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पक्की सहेली
मेरी पहली दोस्त
मेरी पक्की सहेली
जिसे मैं कुछ भी कहूं
उनकी कुछ भी सुनूं
झगड़ा इन्ही से ज्यादा करती हूं
इन्ही की नाराज़गी से डरती हूं
दूर कही जाकर छिपी
कि सूरत देख उनकी न पिघल जाऊं
10 घड़ी बीती नहीं कि
मैं ही आकर इन्हे मनाऊं
दोस्त वैसे और भी कई है
मगर सुकून तभी है
जब अपनी मां से लिपट जाऊं
© Rishali
मेरी पक्की सहेली
जिसे मैं कुछ भी कहूं
उनकी कुछ भी सुनूं
झगड़ा इन्ही से ज्यादा करती हूं
इन्ही की नाराज़गी से डरती हूं
दूर कही जाकर छिपी
कि सूरत देख उनकी न पिघल जाऊं
10 घड़ी बीती नहीं कि
मैं ही आकर इन्हे मनाऊं
दोस्त वैसे और भी कई है
मगर सुकून तभी है
जब अपनी मां से लिपट जाऊं
© Rishali
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