...

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ख्वाबो को हक़ीक़त देख कर कर
हयात का सफर चलता है ख्वाबो में जीवन भर
देखकर परवाजों का हुनर
देखता तसव्वुर में उनको खुद बन बनकर
कभी शिक्षक, कभी अभिनेता कभी लेखक बनकर
कभी ख्वाबो को हक़ीक़त देख कर कर
ख्वाबो में तो सब कुछ बन जाता है तू पर
हक़ीक़त में तुझे लगता है डर
शुरुआत में तो सबको लगता है ये डर
उसके बाद आदत हो जाती है पर
इस डर से बस एक बार होकर निडर
उस ख्वाब को देख बनकर
निकल हक़ीक़त के सफर पर
देखता है जों तू फलक में औरो के हुनर
एक यन्त्र चलना जितना आसान हो जाता है
जब इसकी आदत पढ़ने पर
तू कदम तो उठा ख्वाब को हक़ीक़त बनकर
कुछ ख्वाबो को तो हक़ीक़त कर
वही बनता है कुछ जों ख्वाब को देखता है
हक़ीक़त कर कर



© pawan kumar saini