ग़ज़ल
बाग में तितलियाँ नहीं आतीं
सजने अब लड़कियाँ नहीं आतीं
अब मुझे चिट्ठियाँ नहीं आतीं
मुझको अब हिचकियाँ नहीं आतीं
लड़कियाँ मुझको क्यों पसंद करें
खार पर तितलियाँ नहीं आतीं
सालों से फूल उगा रहा हूँ मैं...
सजने अब लड़कियाँ नहीं आतीं
अब मुझे चिट्ठियाँ नहीं आतीं
मुझको अब हिचकियाँ नहीं आतीं
लड़कियाँ मुझको क्यों पसंद करें
खार पर तितलियाँ नहीं आतीं
सालों से फूल उगा रहा हूँ मैं...