देखता रह गया
चांद को रात भर देखता रह गया
अपने हाथों में मैं खोजता रह गया
काश बाहों में ले उसको सो पाता मैं
रखके सीने पे सर उसके रो पाता मैं
दिन में भी उसको छुपने न देता कभी
दूर मुझसे न होने मैं देता कभी
उसके धब्बों को उसकी बनाकर चमक
रोशनी उसकी खोने ना देता कभी
उसकी शीतल चमक, उसकी प्यारी नज़र
उसकी भोली हंसी, जिसमें मेरा बसर
उसके...
अपने हाथों में मैं खोजता रह गया
काश बाहों में ले उसको सो पाता मैं
रखके सीने पे सर उसके रो पाता मैं
दिन में भी उसको छुपने न देता कभी
दूर मुझसे न होने मैं देता कभी
उसके धब्बों को उसकी बनाकर चमक
रोशनी उसकी खोने ना देता कभी
उसकी शीतल चमक, उसकी प्यारी नज़र
उसकी भोली हंसी, जिसमें मेरा बसर
उसके...