...

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चुपचाप समझता है
नींद ना आने पर भी वो मेरे काम के लिए बातें बन्द कर देता है,
कभी कभी वो मुझे खामोशी से समझता है....

मुझे भूखा देख कर खुद भरे पेट भी खाने की कोशिश करता है,
कभी कभी वो मुझे खामोशी से समझता है...

प्यार का इज़हार करना उसे नही है आता,
अपनी पसंद के तौफे लाने में भी वो confuse हो है जाता,
दिमाक से ना सोच कर वो मेरी ख्वाईशो के लिए अपना सर है झुकाता,
कभी कभी वो मुझे खामोशी से समझता है...

झगड़े होते है कई और हमेशा मुझसे गुस्सा पहले हो जाता है,
गुस्सा ठंडा होने पर अपनी ज़ुबान पे sorry का अल्फ़ाज़ पहले लाता है,
कभी कभी वो मुझे खामोशी से समझता है...

रोती मैं हूँ और आंसू उसके निकल आते है,
दुखी मैं होती हूँ और दर्दे तकलीफ उसको दिन रात सताते है,
कभी कभी वो मुझे खामोशी से समझता है....

ज़िन्दगी की उलझनों से मुझे चाहता है निकालना,
बातो से परिस्थितियों को चाहता है टालना,
मेरे दर्द को अपना दर्द समझ के सीने से लगा लेता है,
झगड़ा होने पर मेरे गुस्से भरे अल्फाज़ो को आँसुओ से भीगो कर निकाल देता है,
कभी कभी वो मुझे खामोशी से समझता है...

बात अगर उसके मन की हुई तो बहुत खुश हो जाता है,
अगर हुई मेरे मन की बात तो चुपचाप अपनी अधूरी ख्वाईशो को छुपाता है,
कभी कभी वो मुझे खामोशी से समझता है...

बिन बताए उसे कहीं निकल जाऊं तो डर जाता है,
मुझसे बात करने पर ही उसके पूरे दिन की थकान को सुकून आता है,
कभी कभी वो मुझे खामोशी से समझता है....

किसी के सामने बेइज़्ज़त कहीं मैं ना हो जाऊं,
उसकी वजह से लोगो के कड़वे अल्फाज़ो भरे अपमान को मै ना पाऊं,
इसलिए अपने घर की इज़्ज़त मुझे बनाना चाहता है,
कभी कभी वो मुझे खामोशी से समझता है...

बिन अल्फाज़ जज़्बातों को महसूस जो है कर पाते,
खामोशियो से प्यार को वही है अपने जीवन मे निभा पाते,
कभी कभी वो मुझे खामोशी से समझता है...

उसकी खामोशिया भी इतनी मशहूर हो गई,
मेरे दिल की हर नाराज़गी भी चूर चूर हो गई,
उसे पाने के बाद मुझे यह एहसास हुआ,
मेरी हर दुआ कुबूल हो गई,
मेरी हर दुआ कुबूल हो गई....
#Love







© DM मन की बातें