...

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बेचैन रूहें
ज़हन ओ तारीख ऐ शिकायते नहीं जाएगी
कब्र खाली रहेगी और लाशे नहीं जाएगी

रहेगी बेचैन रूहे कब तलक यूं ही
खुदा खुद मेरी हालत सुधारी नहीं जाएगी

और अभी सरपरस्ती सर पे है मा बाप की
किसी कि बलाएं मेरे सर नहीं आएगी

साल दर साल नोचते हैं टूटे हुए ख़्वाब
अब कोई भी मंजिल हमें रास नहीं आएगी

गए हैं भिगोने तेरे आंख के कतरो से दिल
सुना है तेरे दर से कोई झोली खाली नहीं जाएगी