...

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ठोकरो मे है जमाना मेरे
#सांझ
सांझ को फ़िर निमंत्रण मिला है
दोपहर कल के लिए निकला है
अब उठो तुम है इंतजार किसका
अवसर बाहे फैलाए खडा है...
वक्त से जो आंखे मूंद लेते है
खुद पैरों पे कुल्हाड़ी मार लेते है
समय कभी ठहरता नही है
मूर्ख है वो लोग जो वक्त खो देते है।।
उठो पत्थरों को रौंद कर चलो
सदा वक्त को हथेली पे लेकर चलो
देखना मुश्किलें भी हार मानेगी
जुनून हौसलों को बुलंद करके चलो।।