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सावन और उम्मीद
आषाढ़ का वह महीना था,
ताप्ती धूप का वह महीना था।
जहा से गुज़र के आई थी हमारी धरती ।
पानी के लिए हाहाकार मचा,
दुर्भिक्ष भूमि मैं ,
ना जाने कितने पोधो ने अपना दम था तोड़ा।

आसमान मे अक्षि टिकाए,
यह नज़र नही एक आश थी।
पानी की बूंद की।
प्यासे कण्ठ को शीतल जल की।
मिलो का सफ़र कर यह जो पंछिया आयी हैं,
अपने आशियाने को छोड़,
धूप से बचती।
खाना पानी को ढूँढती ।
अपनी नन्ही जान को बचाती,
ना जाने कितने आपने साथियों को रास्ते मैं अलविदा कहती।

सावन क्या है ?
सावन एक उम्मीद है,
वह जो पहली बूँद का धरती को स्पर्श करना,
ऐसा प्रतीत होता मानो वर्षों कि दुआ काबूल हो गयी।
निर्मल जल के स्पर्श से आत्मा को तृप्ति प्रदान हो गई ।

सावन एक प्रेम का प्रतीक है,
जो भूमि की कठोरता को कोमलता में परिवर्तित कर,
फसलों को बोवने के लिए तैयार करता है,
सावन एक उम्मीद है,
उस किसान कि,
जो अपनी मातृ भूमि का कर्ज़ अदा करने
की कोशिश मैं जुटा है,
अपनी फसलो से न जाने कितनी,
भारत माँ की संतान का पेट भर सके।

सावन मनोकामना पुर्ण करने का महीना है।
जहा भोले बाबा का आशीर्वाद है,
जब भोले बाबा पूर्ण निष्ठा मैं बैठ कर,
आपने भक्तो की पीड़ा हरते है।
कवर उठाए उन कावरियों की
जब सुल्तान गंज से पानी उठाये ,
सुया पहाड़ चलते है,
अपनी पैरो की छालो को छोड़,
वो भोलेबाबा के दर्शन की खुशियां में ज़ुमते है।

इसलिए सावन महीना हैं,
प्यार का विश्वास का ।
परिवर्तन का ,
और परिवर्तन ऐसा जो खुशिया लाए ।
जहा मोर खुशियो का जशन मनाने के लिए
पंक खोल नाच उठे,
रंग बिरंगे फूल यह नज़ारा देखने को किलते है,
ऐश रोमांचक नज़ारा जो आंखों मैं समा ले,
हवाओ की शीतलता मे लीन हो जाए,
सोंधी सी खुसबू मिट्टी कि,
ऐसा आकर्षित करती
मानो इत्र भी अपनी खुशबू बढ़ाने आए हो ।
हिमाचल से गंगा यमुना कावेरी नर्मदा अपनी यात्रा शुरू करती ।
यह नज़र देखती,
धारती की यह खुशियो में शामिल होती,
और सावन के बाद भी इसका ख्याल रखने का ज़िम्मा लेनेको वह तयार रहती।








© Priya kumari