...

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मैंने कब कहा
मैंने कब कहा?
कि, हर दिन मिलो
मैंने कब कहा?
कि,हाथ पकड़ सरे-आम चलो
मैंने कब कहा?
कि, दुनिया की नहीं,
सिर्फ मेरी बात करो
मैंने कब कहा?
कि ,प्रेम की शरारतें
सामने नहीं,
सपनों की दुनिया में ही करो
हां, मैंने नहीं कहा...
मगर चाहती यही हूं
बिन कहे कभी तो समझा करो
-स्मृति