कोशिश
बातें तो बहुत किया करते थे,
आज क़लम से कुछ लिखने की, कोशिश कर रहा हूँ।
चाहे काले हीं सही, पर ख़ाली पन्नों को, भरने की कोशिश कर रहा हूँ।
थोड़ी लिखावट ग़लत हो सकती है,
व्याकरण में भी गफ़लत हो सकती है
पर, दिल की बातों को काग़ज़ पर,
बयाँ करने की कोशिश कर रहा हूँ।
माफ़ कर दिजिएगा मुझे अपना समझकर,
मै धीरे धीरे दुनियाँ को अपनाने की,
कोशिश कर रहा हूँ।
-पहल
आज क़लम से कुछ लिखने की, कोशिश कर रहा हूँ।
चाहे काले हीं सही, पर ख़ाली पन्नों को, भरने की कोशिश कर रहा हूँ।
थोड़ी लिखावट ग़लत हो सकती है,
व्याकरण में भी गफ़लत हो सकती है
पर, दिल की बातों को काग़ज़ पर,
बयाँ करने की कोशिश कर रहा हूँ।
माफ़ कर दिजिएगा मुझे अपना समझकर,
मै धीरे धीरे दुनियाँ को अपनाने की,
कोशिश कर रहा हूँ।
-पहल