...

28 views

ग़ज़ल
राधा राणा की कलम से ✍️

ज़िंदगी को चाहिए दो पल खुशी के।
हो हमारा कोई हम भी हों किसी के।

कौन करता है मुहब्बत आज सच्ची,
बेवफा दिल हो गए हैं अब सभी के।

घोंसलों में किन को ढूंढा जा रहा है।
उड़ गए वो तो परिंदें हैं कभी के।

हौसला हारा नहीं जो ज़िंदगी में,
ख्वाब भी पूरे हुए हैं बस उसी के।

कांच के जैसा है नाजुक आदमी भी,
टूट जाता तोड़ने से ज़िंदगी के।

2122 2122 2122