...

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ज़ख़्म पुराने
रूठी तक़दीर मना न पाए हम,
कुछ यादों को भुला न पाए हम।

तन्हाई ने एसा घेरा हमको,
बाहर जिससे आ न पाए हम।

दिल फुरकत में ही रहा हरपल
कभी खुलके...