अधूरी मुलाकात
यूं तुझे देखकर फिर सारे लम्हों को यादकर
मेरी नब्ज़ थी रुकी रही तू बता मैं क्या करूं
फिर मैं वहां रुककर फिर ज़रा सा ठहरकर
मेरे पांव थे कि रुक गए तू बता मैं क्या करूं
जिस्म था कि कांपता रहा मैं सांसें रोककर
न तेरे सिवा...
मेरी नब्ज़ थी रुकी रही तू बता मैं क्या करूं
फिर मैं वहां रुककर फिर ज़रा सा ठहरकर
मेरे पांव थे कि रुक गए तू बता मैं क्या करूं
जिस्म था कि कांपता रहा मैं सांसें रोककर
न तेरे सिवा...