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हत्या तेरी हत्या
हत्या तेरी हत्या=
अरे हत्या तू बेशर्म है
राक्षसी और निर्लज्ज है
अरे तू इतनी अंधी है
अरे छी बहुत गंदी है
क्यों नहीं गले लगती उनके
जो मानवता का त्रास करते
लिपट जाती है उनसे
जो होते हैं भोले वाले
जितना भ्रष्टाचार बढ़ा है
तुझे और दम मिला है
आखिर क्यों रुलाती है
आखिर क्यों सताती है
गर होती किसी की हत्या
बात दवाई जाती है
देते आत्महत्या का नाम
घृणित करते हैँ यह काम
तू दफा हो जा जहां से
आई कहां राक्षसी लोक से
कितने मरते हैं दुनिया में
इंसाफ कहां मिलता है
घिस जाते हैं पैर चलकर
सिस्टम यह सिसकता है
बहन बेटियां बहुएं माताएं
कितनी जान गवा देती हैँ
कभी बालक जवान बूढ़े
जिनको तू शिकार बनाती है
क्यों नहीं होती उनकी हत्या
जो करते किसी की हत्या
मरने वाले को शांति मिले
हत्यारों को धरा पर नर्क मिले
कानून की क्या बात कहिए
यह तो अंधा ठहरा भाई
लिखा दे पापी कागज पर
वही मान लिया जाता है सच
गरीब कैसे यहाँ लड़ पाएं
हत्यारा पैसा भर दे जहां-
हत्या तेरा मुंह काला
सख्त हो कानून तुझे मिले ताला
जा तू.इस जहाँ से अब
हत्या तेरी हत्या होगी कब?
पूनम पाठक बदायूँ
12.05.21
इस्लामनगर बदायूँ उत्तर प्रदेश
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